Saturday, September 12, 2015

jai hanuman

प्राचीन भारत के 5 महान 'बाहुबली'

भारतवर्ष में पहले देव, असुर, गंधर्व, किन्नर, यक्ष, मानव, नाग आदि जातियां निवास करती थीं। कुरु, पांचाल, पुण्ड्र, कलिंग, मगध, दक्षिणात्य, अपरांतदेशवासी, सौराष्ट्रगण, तहा शूर, आभीर एवं अर्बुदगण, कारूष, मालव, पारियात्र, सौवीर, संधव, हूण, शाल्व, कोशल, मद्र, आराम, अम्बष्ठ और पारसी गण रहते थे। भारत के पूर्वी भाग में किरात (चीनी) और पश्चिमी भाग में यवन (अरबी) बसे हुए थे। उस काल में एक से बढ़कर एक बाहुबली होते थे, लेकिन हम उन असुरों की बात नहीं कर रहे जो अपनी मायावी शक्ति के बल पर कुछ भी कर सकते थे हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों की जिनकी भुजाओं में अपार बल था।
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बाहुबली का अर्थ होता है जिसकी भुजाओं में अपार बल है। बलवान, शक्तिमान और ताकतवर। दुनिया में आज भी ऐसे कई व्यक्ति है जिनकी भुजाओं में इतना बल है जितना कि किसी सामान्य इंसान या किसी कसरत करने वाले व्यक्ति की भुजाओं में भी नहीं होगा।
 
हम महाबली शेरा, महाबली खली, महाबली सतपाल या दारासिंह की बात नहीं कर रहे हैं। हम आपको बताएंगे भारत के प्राचीनकाल में ऐसे कौन-कौन से व्यक्ति थे जिनकी भुजाओं में आम इंसान की अपेक्षा कहीं ज्यादा बल था। 

प्राचीन भारत के 5 महान 'बाहुबली'

भारतवर्ष में पहले देव, असुर, गंधर्व, किन्नर, यक्ष, मानव, नाग आदि जातियां निवास करती थीं। कुरु, पांचाल, पुण्ड्र, कलिंग, मगध, दक्षिणात्य, अपरांतदेशवासी, सौराष्ट्रगण, तहा शूर, आभीर एवं अर्बुदगण, कारूष, मालव, पारियात्र, सौवीर, संधव, हूण, शाल्व, कोशल, मद्र, आराम, अम्बष्ठ और पारसी गण रहते थे। भारत के पूर्वी भाग में किरात (चीनी) और पश्चिमी भाग में यवन (अरबी) बसे हुए थे। उस काल में एक से बढ़कर एक बाहुबली होते थे, लेकिन हम उन असुरों की बात नहीं कर रहे जो अपनी मायावी शक्ति के बल पर कुछ भी कर सकते थे हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों की जिनकी भुजाओं में अपार बल था।
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बाहुबली का अर्थ होता है जिसकी भुजाओं में अपार बल है। बलवान, शक्तिमान और ताकतवर। दुनिया में आज भी ऐसे कई व्यक्ति है जिनकी भुजाओं में इतना बल है जितना कि किसी सामान्य इंसान या किसी कसरत करने वाले व्यक्ति की भुजाओं में भी नहीं होगा।
 
हम महाबली शेरा, महाबली खली, महाबली सतपाल या दारासिंह की बात नहीं कर रहे हैं। हम आपको बताएंगे भारत के प्राचीनकाल में ऐसे कौन-कौन से व्यक्ति थे जिनकी भुजाओं में आम इंसान की अपेक्षा कहीं ज्यादा बल था। 

प्राचीन भारत के 5 महान 'बाहुबली'

भारतवर्ष में पहले देव, असुर, गंधर्व, किन्नर, यक्ष, मानव, नाग आदि जातियां निवास करती थीं। कुरु, पांचाल, पुण्ड्र, कलिंग, मगध, दक्षिणात्य, अपरांतदेशवासी, सौराष्ट्रगण, तहा शूर, आभीर एवं अर्बुदगण, कारूष, मालव, पारियात्र, सौवीर, संधव, हूण, शाल्व, कोशल, मद्र, आराम, अम्बष्ठ और पारसी गण रहते थे। भारत के पूर्वी भाग में किरात (चीनी) और पश्चिमी भाग में यवन (अरबी) बसे हुए थे। उस काल में एक से बढ़कर एक बाहुबली होते थे, लेकिन हम उन असुरों की बात नहीं कर रहे जो अपनी मायावी शक्ति के बल पर कुछ भी कर सकते थे हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों की जिनकी भुजाओं में अपार बल था।
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बाहुबली का अर्थ होता है जिसकी भुजाओं में अपार बल है। बलवान, शक्तिमान और ताकतवर। दुनिया में आज भी ऐसे कई व्यक्ति है जिनकी भुजाओं में इतना बल है जितना कि किसी सामान्य इंसान या किसी कसरत करने वाले व्यक्ति की भुजाओं में भी नहीं होगा।
 
हम महाबली शेरा, महाबली खली, महाबली सतपाल या दारासिंह की बात नहीं कर रहे हैं। हम आपको बताएंगे भारत के प्राचीनकाल में ऐसे कौन-कौन से व्यक्ति थे जिनकी भुजाओं में आम इंसान की अपेक्षा कहीं ज्यादा बश्रीहनुमानजी : जब ताकत की, बल की या शक्ति की बात हो तो हनुमानजी का नाम सबसे पहले रखा जाता है। श्रीरामदूत हनुमानजी की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने संजीवनी बूटी का एक पहाड़ उठा लिया था।
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श्रीरामदूत हनुमानजी के बारे में क्या कहें? उनके पराक्रम और बाहुबल के बारे में रामायण सहित दुनिया के हजारों ग्रंथों में लिखा हुआ है। केसरीनंदन पवनपुत्र श्रीहनुमानजी को भगवान शंकर का अंशशवतार माना जाता है।ल था। 

Tuesday, September 1, 2015

लव मै‍रिज के इच्छुक युवा पढ़ें श्रीकृष्ण ये सरल मंत्र
श्रीकृष्ण के यह मंत्र कराएंगे आपकी सफल लव-मैरिज
* शादी योग्य युवाओं के लिए श्रीकृष्ण के सरल मंत्र
श्रीकृष्‍ण का मंत्र : - क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वा







हा।'

SEP FESTIVAL

इस वर्ष के व्रत-त्योहार (2015)
सितंबर माह के त्योहार
दिऩांक प्रमुख त्योहार अन्य त्योहार हिंदी माह पक्ष तिथि
1 सितंबर गणेश चतुर्थी (चंद्रो.रा.8.29), पंचक कज्जली तीज, बहुला चौथ भाद्रपद कृष्ण तृतीया (3)
2 सितंबर पंचक स. (दिन 10.8 तक) भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी (4)
3 सितंबर गोगा पंचमी भाद्रपद कृष्ण पंचमी (5)
4 सितंबर हलषष्ठी व्रत हरछठ व्रत, दादाभाई नौरोजी ज. भाद्रपद कृष्ण षष्ठी (6)
5 सितंबर श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी (स्मार्त) डॉ. राधाकृष्णन ज., शिक्षक दिवस भाद्रपद कृष्ण सप्तमी (7)
6 सितंबर श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी (वैष्णव) महर्षि दधीचि ज. भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (8)
7 सितंबर गोगा नवमी भाद्रपद कृष्ण नवमी (9)
8 सितंबर व्यतिपात विश्व साक्षरता दि. भाद्रपद कृष्ण दशमी (10)
9 सितंबर जया (अजा) एकादशी (सर्वे), पुष्य नक्षत्र (प्रात: 6.7 से) गोवत्स द्वादशी, बछ बारस, ओम द्वादशी भाद्रपद कृष्ण एकादशी (11)
10 सितंबर प्रदोष व्रत, श्वेतां. पर्युषण प्रा., विश्नोई बलि. दि. पुष्य नक्षत्र (प्रात: 7.18 तक), गोविंद वल्लभपंत ज. भाद्रपद कृष्ण द्वादशी (12)
11 सितंबर शिव चतुर्दशी विनोबा भावे ज. भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी (13)
12 सितंबर श्राद्ध अमावस्या कुशोत्पाटिनी अमावस्या, पोला पिठोरा भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी (14)
13 सितंबर स्ना.दा. अमावस्या, ब्रह्मानंद लोधी नि.दि. कुंभ मुख्य स्नान (नासिक) भाद्रपद कृष्ण अमावस्या (15)
14 सितंबर चंद्रदर्शन, महावीर जन्मवाचन हिन्दी दिवस, महादेवी वर्मा ज. भाद्रपद शुक्ल एकम (1)
15 सितंबर अभियंता दिवस जिल्हेज मास प्रा. भाद्रपद शुक्ल द्वितीया (2)
16 सितंबर हरितालिका तीज, रोटतीज चंद्रदर्शन निषेध, चौथ चंद्र भाद्रपद शुक्ल तृतीया (3)
17 सितंबर गणेश जयंती (स्थापना) गणेश चतुर्थी (चं.अ.रा.8.15), विश्वकर्मा पूजा भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (4)
18 सितंबर ऋषि पंचमी, दसलक्षण, सौर मा. आश्विन प्रा. दि. जैन पर्युषण पर्व प्रा. भाद्रपद शुक्ल पंचमी (5)
19 सितंबर सूर्य षष्‍ठी, चंपा षष्ठी मोरयाई छठ भाद्रपद शुक्ल षष्ठी (6)
20 सितंबर संतान सातें, शील सप्तमी नवाखाई पर्व भाद्रपद शुक्ल सप्तमी (7)
21 सितंबर महालक्ष्मी व्रत प्रा. राधाष्टमी, दुर्वाष्टमी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी (8)
22 सितंबर भाद्रपद शुक्ल नवमी (9)
23 सितंबर सुगंध दशमी, ईद-उल-अदहा धूप खेवन पर्व भाद्रपद शुक्ल दशमी (10)
24 सितंबर पद्मा-परिवर्तनी एकादशी (सर्वे) डोल ग्यारस, बकरीद भाद्रपद शुक्ल एकादशी (11)
25 सितंबर् श्रवण द्वादशी, ओणम पर्व, पं. दीनदयाल ज. प्रदोष व्रत, पंचक ‍(दिन 1.47 से), वामन ज. भाद्रपद शुक्ल द्वादशी (12)
26 सितंबर अनंत चतुर्दशी (मतांतर) पंचक, चतुर्दशी व्रत भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी (13)
27 सितंबर अनंत चतुर्दशी, पयुर्षण स., पूर्णिमा व्रत, विश्व पर्यटन दि. पंचक, गणेश विसर्जन, राजाराम मोहन राय पु. भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (14)
28 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध, श्राद्ध महालय प्रा., भगतसिंह ज. क्षमावाणी, पंचक, स्ना.दा. पूर्णिमा भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा (15)
29 सितंबर द्वितीया श्राद्ध, पंचक (शाम 6.7 तक) षोडशकारण व्रत पूर्ण, विश्व ह्रदय दि. आश्विन कृष्ण एकम-द्वितीया (1-2)
30 सितंबर तृतीया श्राद्ध बैंक अर्द्धवार्षिक लेखाबं